तुम #मसरूफ़ हो तो.. #बारिश का कोई #हक़ नही... मेरे #शहर मे बरसने का .. मसरूफ़~व्यस्त
फितरत तो कुछ यूं भी है, इंसान कीसाहब.....#बारिश खत्म हो जाये तो छतरी बोझ लगती है।#बारिश
घटाएं आ चुकी हैं आसमां पे, औऱ दिन सुहाने हैं... . . मेरी मजबूरी तो देखो, मुझे बारिश में भी…
सारी रात उसकी बातें जहन मे चलती रही। यादें उसकी नैनो से #बारिश बन छलकती रही।