मैं करता रहा इंतज़ार मुँह खोले बारीशों का... . . . एक छीट उसके जुल्फों की तरबतर कर गयी...❤️
कल हमारे यहां उतनी बारिश हुई, जितनी पानी , औरतों के बाल धोने के बाद बालों को हाथो से झटकने…
काश भीगता कभी तू मेरे सुखन की बारिश में। कतरा - कतरा जज़्बात, तेरी जड़ों में रिस जाते।।
मेरे घर की छत से रिसती है मेरी असफलताएं बरसातों में और मेरी अवस्था मेरा उपहास उड़ाती है...