बचपन मे जब बुखार होता था तो, डॉक्टर की एक ही बात अच्छी लगती थी.... . . . . "दो…
मैं गया था सोच कर, बात ‘बचपन’ की होगी, दोस्त मुझे अपनी ‘तरक़्क़ी’ सुनाने लगे…..
ऐ उम्र मैने कुछ कहा! शायद तूने सुना नही.. तु छिन सकती है बचपन मेरा.. पर "बचपना" नही..।।