हमारा अंदाज कोई ना लगाए तो ही ठिक होगा,. . . . क्यूंकि अंदाज तो बारिशों का लगाया जाता है…
झुका हूँ तो कभी सिर्फ अपनों के लिए . . . और लोग इसे मेरी मज़बूरी समझ बैठे
नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा .. . . . चुपके से अलग करना वरना लोगो…
लौट आती है हर बार मेरी दुआ खाली, जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है।
कौन कहता है की दिल.. सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है, तेरी ख़ामोशी भी कभी कभी.. आँखें नम कर देती…
वो मुझसे दूर रहकर खुश है, और मैं उसे खुश देखने के लिए दूर हूँ…
तुम्हारा होना बिल्कुल रविवार की सुबह जैसा है, कुछ सूझता नहीं है…. बस अच्छा लगता है !!!