याददाश्त का कमजोर होना बुरी बात नहीं है बड़े बेचैन रहते है वो लोग जिन्हें हर बात याद रहती है
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये, जुल्म भी सहा हमने, और जालिम भी कहलाये गये!!
जब कभी दर्द की तस्वीर बनाने निकले ज़ख़्म की तह में कई ज़ख़्म पुराने निकले ~अहया भोजपुरी
जब भी खोला है ये माज़ी का दरीचा मैं ने कोई तस्वीर ख़यालों में नज़र आती है ~फ़रह इक़बाल
काश भीगता कभी तू मेरे सुखन की बारिश में। कतरा - कतरा जज़्बात, तेरी जड़ों में रिस जाते।।
कोई प्यार से जरा सी फुंक मार दे तो बुझ जाऊं.....!! नफरत से तो तुफान भी हार गए मुझे बुझाने…
बहुत रोयी वो उस शख़्स के जाने से इश्क़ रहा होगा, यूं ही कोई जज़्बाती नहीं होता
बिछड़ने का इरादा है तो मुझ से मशवरा कर लो मोहब्बत में कोई भी फ़ैसला ज़ाती नहीं होता ~अफ़ज़ल ख़ान
मुझ को बीमार करेगी, तेरी आदत इक दिन और फिर तुझ से भी अच्छा नहीं हो पाऊँगा -Rahul Jha