एक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए ..
छू लिया तुमने मुझे कुछ इस तरह एक ख्वाब में ख्वाब में ही रह गये हम आँख खुल जाने के…
सस्ते में लूट लेती है.. ये दुनियाँ अक्सर उन्हें,,, जिन्हें खुद की.. कीमत का अंदाज़ा नहीं होता...