न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई., न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..
तुमने तो फिर भी सीख लिए दुनिया के चाल चलन… हम तो कुछ भी ना कर सके बस मुहब्बत के…
अगर ब्रेकअप के बाद दिमाग में शायरी नहीं आ रही हो तो समझ लो . . . . . .…
वो अपनी जिंदगी में हुए मशरूफ इतना वो किस किस को भूल गए ,उन्हें याद भी नहीं
बढ़ रही हैं तुमसे दूरियाँ... आ बैठ गलत फमहियाँ मिटाते हैं...
थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ ~मुनीर…
हम तो सिंगल लोग हैं साहब . . . . .प्रेम से बोलो . . . . . .भाड़ में…
सिंगल होने का ग़म नहीं है साहब. . . . . बस दूसरों की सेटिंग देख कर ज़हर खाने का…
किसी से बस उतना ही दूर होना की उसे आपकी अहमियत का एहसास हो जाए इतना भी दूर ना हो…
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए ~फ़ना निज़ामी कानपुरी