बाहर जाकर सेल्फी लेना मजबूरी हो गया है खुश दिखना, खुश रहने से जरूरी हो गया है,
रिश्तों को कभी धोखा मत दो, पसंद ना आऐ तो उसे पूर्णविराम कर दो
इंसान सब कुछ कॉपी कर सकता है . . . लेकिन किस्मत और नसीब नही
मेरी ख़ूबीयो पर तो….. यहाँ सब खामोश रहते हैं .. चर्चा मेरे बुराई पे हो तो… गूँगे भी बोल पड़ते…
कहीं बाजार में मिल जाये तो लेते आना वो चीज़ जिसे दिल का सुकून कहते हैं…
मोहब्बत भी उधार कि तरह होती है …. “साहब” लोग ले तो लेते है .. मगर देना भूल जाते है.
खूबसूरती न सूरत में है… न लिबास में है… निगाहें जिसे चाहे… उसे हसीन कर दें…