अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी - शकील आज़मी
कमा के इतनी दौलत भी मैं अपनी माँ को दे ना पाया, . . . . के जितने सिक्कों से…
तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं, माँ, महँगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं माँ …!!
जब एक रोटी के चार टुकड़े हों और खाने वाले पाँच, . . . तब मुझे भूख नहीं है ऐसा…
माना थक कर आँखे उसकी बंद होती हैं , पर माँ सोती भी हैं, तो फिक्रमंद होती हैं।
तपते बदन पर भींगा रुमाल रखती है मां कितनी शिद्दत से मेरा ख्याल रखती है हैप्पी मदर्स डे
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं , जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं।
सीधा साधा भोला भाला तेरे लिए मै ही सबसे अच्छा हूँ , कितना भी हो जाऊ बड़ा माँ मै आज…
मैंने "माँ " के कंधे पर सर रख कर पूछा - “माँ ” कब तक मुझे अपने कन्धों पर सोने…