दिल खुद ढूंढ लेता है तेरी बेरुखी के बहाने। तुम्हे अपनी सफाई में कुछ कहने की जरूरत नही।।
#उम्मीद लगाए आज भी, तेरा करता हूं इंतज़ार.! आओगे एक दिन पास मेरे, जब टूटेगा विश्वास.! मैं चाहूंगा फिर भी…
चलो अब जाने भी दो..क्या करोगे दासता सुनकर.., ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं,और बयां हमसे होगी नहीं…
फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें… क्यूँ ख्वाब मे इतने पास आ जाती हो तुम….
सुना है तुम्हारी एक निगाह से क़तल होते हैं लोग, एक नज़र हमको भी देख लो कि ज़िन्दगी अच्छी नहीं…
क्या कमी थी मुझ मेँ.. जो तुमने मुझे छोड़ दिया.. वफ़ा करनी नहीँ आई या मैँ गरीब था.!!
जिस दिन वोह मेरी सलामती की दुआ करती है । उस दिन जेब में रखी सीगरेट भी टूट जाती है…
आखिर क्यों रिश्तो की गलिया इतनी तंग हैं... शुरुवात कौन करे, यहीं सोच कर बात बंद है...
हिचकियाँ आना तो चाह रही हैं, पर 'हिच-किचा' रही हैं... कौन शरमा रहा है आज यूँ हमें फुरसत में याद…