इश्क़ का तो ऐसा हिसाब है कि . . . बंद हो चुका नंबर भी डिलीट करने को दिल नहीं…
काश तुम पूछो की मुझसे क्या चाहिये, मैं पकडू बस तेरा हाथ और कहूँ सिर्फ तेरा साथ चाहिये…
रिश्तों को कभी धोखा मत दो, पसंद ना आऐ तो उसे पूर्णविराम कर दो
बहुत पाक रिश्ते होते है नफरतों के, कपड़े अक्सर मोहब्बत में ही उतरते हैं…
मोहब्बत भी उधार कि तरह होती है …. “साहब” लोग ले तो लेते है .. मगर देना भूल जाते है.
खूबसूरती न सूरत में है… न लिबास में है… निगाहें जिसे चाहे… उसे हसीन कर दें…
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा तुम्हे, जितना मैंने सिर्फ…… सोचा है तुम्हे
अजीब खेल है ये मोहब्बत का . . किसी को हम न मिले, कोई हमें ना मिला!