प्रेम... किसी दीवार पे लगी खूँटी पे टंगी शर्ट नहीं है, जिसे आप जब चाहे पहन लो या जब चाहे…
जीवन का खालीपन जितना जल्दी भर जाए उतना अच्छा । . . नहीं तो उन खाली जगहों पर दुःख अपना…
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी - शकील आज़मी
इंसान सब कुछ कॉपी कर सकता है . . . लेकिन किस्मत और नसीब नही
बाज़ार बड़ा मंदा है साहेब….. ख़ुशी की किल्लत है और ग़म कोई ख़रीद नहीं रहा
बहुत पाक रिश्ते होते है नफरतों के, कपड़े अक्सर मोहब्बत में ही उतरते हैं…
शहर बसाकर, अब सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं..... बड़े अजीब हैं लोग हाथ में कुल्हाड़ी लिए, छाँव ढूँढते हैं.....