अक्टूबर बिछड़ने का महीना है, शाख़ से पत्ते अलग हुए जा रहे हैं, हवाओं के दिल भी भारी हो रखे…
मैं रुई पर एक कविता लिखूँगा और उसे तेल में डुबाकर दिया में सजाऊँगा फिर संसार के सबसे ऊंचे पर्वत…
बात ये है कि वो बदल गये है . . . ज़ुल्म ये है कि मानते भी नहीं है...!! #बज़्म…
कुछ चीजें पैसों से नही मिलती . . . . बस उन्ही चीजों का शौक है हमे
घमण्ड बता देता है कितना पैसा है । #मर्यादा बता देती है परिवार कैसा है ।। बोली बता देती है…