फूल जैसे मख़मली तलवों में छाले कर दिए, गोरे सूरज ने हज़ारों जिस्म काले कर दिए। ~राहत इंदौरी
घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए ~अज़हर इक़बाल
मैंने "माँ " के कंधे पर सर रख कर पूछा - “माँ ” कब तक मुझे अपने कन्धों पर सोने…
बैठे चाय की प्याली लेकर पुराने किस्से याद करने… चाय ठंडी होती गई और किस्से गरम होते गये !!
अभिमन्यु की एक बात बहुत हिम्मत देती हैं, हिम्मत से हारना पर हिम्मत मत हारना |
चुभते हुए ख्वाबों से कह दो .. अब आया ना करे.. हम तन्हा तसल्ली से रहते है…. बेकार उलझाया ना…
नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा .. . . . चुपके से अलग करना वरना लोगो…
लौट आती है हर बार मेरी दुआ खाली, जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है।
नए जख्म के लिए तैयार हो जा ए दिल! कुछ लोग प्यार से पेश आ रहे हैं…!!
मुझसे जो भी नफरत करते है सुकून से करे . . . मैं भी हर शख्स को मोहब्बत के काबिल…