जीवन का खालीपन जितना जल्दी भर जाए उतना अच्छा । . . नहीं तो उन खाली जगहों पर दुःख अपना…
इंसान सब कुछ कॉपी कर सकता है . . . लेकिन किस्मत और नसीब नही
बाज़ार बड़ा मंदा है साहेब….. ख़ुशी की किल्लत है और ग़म कोई ख़रीद नहीं रहा
मेरी ख़ूबीयो पर तो….. यहाँ सब खामोश रहते हैं .. चर्चा मेरे बुराई पे हो तो… गूँगे भी बोल पड़ते…
बहुत पाक रिश्ते होते है नफरतों के, कपड़े अक्सर मोहब्बत में ही उतरते हैं…
आशियाने बनें भी तो कहाँ जनाब… जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते..
” बुरा ” हमेशा वही बनता है, जो ” अच्छा ” बनके टूट चूका होता है !