इबारत ... इश्क की, लिखकर.. वो चल दिये... और आयत समझ हम पढ़ते रहे उम्र भर.....!
महके-महके से रहते हैं खुश्बू से तेरी तुम बन के इत्र बिखर गये हो मुझमें कहीं.!!
दिल खुद ढूंढ लेता है तेरी बेरुखी के बहाने। तुम्हे अपनी सफाई में कुछ कहने की जरूरत नही।।
#उम्मीद लगाए आज भी, तेरा करता हूं इंतज़ार.! आओगे एक दिन पास मेरे, जब टूटेगा विश्वास.! मैं चाहूंगा फिर भी…
मेरी मुहब्बत की हकीकत... तुम क्या जानो सर झुकाया... तो तुम्हें मागां हाथ उठाया तो तुझे माँगा
जब भी खोला है ये माज़ी का दरीचा मैं ने कोई तस्वीर ख़यालों में नज़र आती है ~फ़रह इक़बाल
मुझ को बीमार करेगी, तेरी आदत इक दिन और फिर तुझ से भी अच्छा नहीं हो पाऊँगा -Rahul Jha
तलब में शुमार इस कदर दीदार उनका, सौ बार भी मिल जाये अधूरा लगता है।
वजह को एक वजह पे ख़तम करेंगे तुम सजा ऐसी देना की हम बिन खता के खता को खत्म करेंगे