मैं रुई पर एक कविता लिखूँगा और उसे तेल में डुबाकर दिया में सजाऊँगा फिर संसार के सबसे ऊंचे पर्वत…
बिना जिस्म को छुए कोई रूह से लिपट जाए... . . . मेरे ख्याल में तो वही सच्चा इश्क़ है..
सुन रहे हो प्रिय? तुम्हें मैं प्यार करती हूँ। और जब नारी किसी नर से कहे, प्रिय! तुम्हें मैं प्यार…
जब प्रेम का इज़हार करेंगे हम हमारी कोई भी महान उपलब्धि काम नहीं आएगी काम आएगा सिर्फ़ स्त्री के क़दमों…
इश्क में रूठना एक अदा है, पर रूठकर दूरी बनाना.... एक इशारा, किसी से रूठ कर आप उनसे दूरी बनाते…
कभी लफ़्ज़ों में मत ढूँढना... मेरे इश्क का वजूद... . . मैं उतना नहीं लिख पाता... जितना महसूस करता हुँ...
मुझे तुम्हारी चालाकी नही तुम्हारा हुनर चाहिए.. . . . मुझे तोहफे में घड़ी नही तुम्हारा वक़्त चाहिए...
बड़ी सादगी से देख लेते हैं तेरी तस्वीर को .... शरीफ़ लोग हैं . . छुप कर गुनाह करते हैं…
कहीं पढ़ा था- "बो देना प्रेम नहीं है। उग आना प्रेम है" और मैं कह आया– "बो देना या फिर…
वो अपनी नाराजगी कुछ यूँ जाहिर करती है जब भी नाराज़ होती है #तुम से #आप कहने लगती है 😍…