सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से.. या तो दोनों आते हैं .. या कोई नहीं…
उसके प्यार में, हुनर आ गया है वकीलों सा……. मेरे प्यार को वो,तारीख पर तारीख दिये जा रहा है !!
फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें… क्यूँ ख्वाब मे इतने पास आ जाती हो तुम….
जो चीज़ मेरी है उसे कोई और ना देखे … इंसान भी मोहबत में बच्चो की तरह सोचता है..
सुना है तुम्हारी एक निगाह से क़तल होते हैं लोग, एक नज़र हमको भी देख लो कि ज़िन्दगी अच्छी नहीं…
नहीं मिला मुझे कोई तुम जैसा आज तलक, पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहीं..!
नहीं मिला मुझे कोई तुम जैसा आज तलक, पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहीं..!
“कभी हमसे भी पूछ लिया करो हाल-ए-दिल, कभी हम भी तो कह सकें दुआ है आपकी”
मुक्तलिफ है इश्क़ का गणित यारों यहाँ तुम और मैं दो नहीं, एक होते हैं