“हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते ….. वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते”
जिंदगी भी तवायफ की तरह होती है, कभी मज़बूरी में नाचती है कभी मशहूरी में ।
चलो अब जाने भी दो..क्या करोगे दासता सुनकर.., ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं,और बयां हमसे होगी नहीं…
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से.. या तो दोनों आते हैं .. या कोई नहीं आता !!!
उसके प्यार में, हुनर आ गया है वकीलों सा……. मेरे प्यार को वो,तारीख पर तारीख दिये जा रहा है !!
फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें… क्यूँ ख्वाब मे इतने पास आ जाती हो तुम….
जो चीज़ मेरी है उसे कोई और ना देखे … इंसान भी मोहबत में बच्चो की तरह सोचता है..
सुना है तुम्हारी एक निगाह से क़तल होते हैं लोग, एक नज़र हमको भी देख लो कि ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती…
क्या कमी थी मुझ मेँ.. जो तुमने मुझे छोड़ दिया.. वफ़ा करनी नहीँ आई या मैँ गरीब था.!!