नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा .. . . . चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा….
लौट आती है हर बार मेरी दुआ खाली, जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है।
पूछा किसीने की याद आती है उसकी, मैंने मुस्कुराकर कहा की तभी तो ज़िंदा हूँ !!
नए जख्म के लिए तैयार हो जा ए दिल! कुछ लोग प्यार से पेश आ रहे हैं…!!
कौन कहता है की दिल.. सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है, तेरी ख़ामोशी भी कभी कभी.. आँखें नम कर देती है..
ख़ुशी कहा हम तो “गम” चाहते है, ख़ुशी उन्हे दे दो जिन्हें “हम” चाहते है
वो मुझसे दूर रहकर खुश है, और मैं उसे खुश देखने के लिए दूर हूँ…
तुम्हारा होना बिल्कुल रविवार की सुबह जैसा है, कुछ सूझता नहीं है…. बस अच्छा लगता है !!!