तुम मेरी हर बात मानो

तुम मेरी हर बात मानो

तुम मेरी हर बात मानो
हर बार भरोसा करो
हर बार उतनी ही गर्माहट से हाथ गहो
तुम्हारे बोसे में
उतना ही तीखापन हो
हर बार
तुम चुप हो जाओ
लड़ो नहीं
यह कतई ज़रूरी नहीं
इन अपूर्णताओं के बदले में
क्या पता
हमें एक अदद ज़िन्दगी मिले एक साथ
एक दूसरे को पूरा बनाने को।

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