दिया जला देना मेरे मन

दिया जला देना मेरे मन

एक तमन्ना की तुलसी पर
इक रस्मों की रंगोली पर
इक अपनेपन के आँगन में
एक कायदों की डोली पर
ख्वाब देखती खिड़की पर
इक खुले ख़यालों की छत पर भी
एक सब्र की सीढ़ी ऊपर
इक चाहत की चौखट पर भी

-राज जैन

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