शहर बसाकर, अब सुकून के लिए गाँव ढूँढते हैं..... बड़े अजीब हैं लोग हाथ में कुल्हाड़ी लिए, छाँव ढूँढते हैं.....
रख लो आईने हज़ार तसल्ली के लिए……!! पर सच के लिए तो,आँखें ही मिलानी प़डेगी….!!!
आशियाने बनें भी तो कहाँ जनाब… जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते..
खुश किस्मत होते है वो जो तलाश बनते है किसी की, वरना पसंद तो कोई भी किसी को भी कर…
” बुरा ” हमेशा वही बनता है, जो ” अच्छा ” बनके टूट चूका होता है !
रजाईयां नहीं हैं उनके नसीब में। गरीब गर्म हौसले ओढ़कर सो जाते है।।
“मतलब” बहुत वजनदार होता है …! . . . निकल जाने के बाद हर रिश्ते को हल्का कर देता है…
दुनिया की सबसे सस्ती चीज़ मशवरा है एक माँगो लोग हजार देते हैं, और सबसे महंगी चीज़ मदद है हजार…
खूबसूरत जिस्म हो या मुसल्लम ईमान.., बेचने की ठान लो तो हर तरफ बाजार है..!!
हक़ उतना ही जताइये, जितना जायज़ लगे...!! रिश्ता फेरों का हो! या मोहब्बत का, घुटन न लगे...।।✌