डर लगता है तेरी तारीफ़ करने में भी, कही ज़माना पूछ न बैठे ये तेरे कौन लगते है ..
मेरी तो बस एक छोटी सी ख्वाहिश है. की…. तुम्हारी कोई ख्वाहिश अधूरी ना रहे…..
वाकई पत्थर दिल ही होते हैं शायर…!! वर्ना अपनी आह पर वाह सुनना कोई मज़ाक नहीं…!!
खुश किस्मत होते है वो जो तलाश बनते है किसी की, वरना पसंद तो कोई भी किसी को भी कर…
कोई ऐसा सख्श मुझे भी दे… ऐ मौला.. जो मुझे बस खोने से डरता हो…!!!
तेरे होंठो को देखा तो एक बात उठी जहन में वो लफ्ज़ कितने नशीले होंगे, जो इनसे होकर गुजरते है
नहीं मिला मुझे कोई तुम जैसा आज तलक, पर ये सितम अलग है कि मिले तुम भी नहीं..!
डरता हूँ कहने से की मोहब्बत है तुम से, कि मेरी जिंदगी बदल देगा तेरा इकरार भी और इनकार भी..
मुझे इंतज़ार करना बेहद पसंद है, क्यू की , ये वक़्त उम्मीद से भरा होता है !
न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई., न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..