ऐसा क्यों नही होता

ऐसा क्यों नही होता

मैं तुम्हारा नाम पुकारूँ

तुम महक-महक जाओ

मैं बनाऊं एक कविता

तुम कलाम की स्याही बन जाओ

नेहा नूपुर

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