आओ फिर से दिया जलाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ

भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

~ अटल बिहारी वाजपेयी

#Deepavali #MannKiBaat

Leave a Reply

Your email address will not be published.