वजह को एक वजह पे ख़तम करेंगे
तुम सजा ऐसी देना
की हम बिन खता के खता को खत्म करेंगे
शौक था कभी पढ़ने का उन्हें
शौक था कभी पढ़ने का उन्हें जिन्हे पढ़ कर सभी छोड़ दिया करते थे
आज छोड़ रहे है वो मेहताब उन्हें
जो छोड़ी चीज को खुशी से जोड़ दिया करते थे