राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है

राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है

राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है.
मौत कल आती है आज आ जाए डरता कौन है.

तेरे लश्कर के मुक़ाबिल में अकेला हूँ मगर
फैसला मैदान में होगा के मरता कौन है….

– राहत इंदौरी

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