Category: <span>आशिकी</span>

Category: आशिकी

पलाश के फूलों कि तरह

एक ख़ूबसूरत पेड़
जिसपे खिले थे लाल
मखमली खूबसूरत फूल
इसे देख अचानक
ठहर गयी नज़र
क्योंकि नहीं थी उसपे हरी पत्तियाँ
दमक रही थी सूखी डाल फूलों से
तभी याद आयी तुम्हारी कही बात
उम्मीद जीवन की कभी छूटने मत देना
यूँ ही मुस्कुराते रहना हर लम्हा
इन पलाश के फूलों कि तरह

अंशु हर्ष

किसी को चाहना तो

किसी को चाहना तो
इतनी शिद्दत से चाहना की
उसके जाने के बाद
तुम्हारी कविताएँ
मोहताज न रहें
किसी समीक्षक की
किसी प्रशंसक की….

~ रचित दीक्षित

जब नारी किसी नर से कहे

सुन रहे हो प्रिय?
तुम्हें मैं प्यार करती हूँ।
और जब नारी किसी नर से कहे,
प्रिय! तुम्हें मैं प्यार करती हूँ,
तो उचित है, नर इसे सुन ले ठहर कर,
प्रेम करने को भले ही वह न ठहरे।

~ दिनकर (‘उर्वशी’ से)

तुम दिल्ली की इठलाती मेट्रो

तुम दिल्ली की इठलाती मेट्रो
मैं कलकत्ते का सहमा ट्राम प्रिये

तुम अंग्रेजी की पॉपुलर लेक्चरर
मैं हिंदी का लेखक गुमनाम प्रिये

इश्क में रूठना एक अदा है

इश्क में रूठना एक अदा है,
पर रूठकर दूरी बनाना…. एक इशारा,

किसी से रूठ कर आप उनसे दूरी बनाते हो,
तो आप उन्हें परोक्ष रूप में इशारा रहे हो,
के “मैं ऐसे ही खुश हूं” ….!!

💛

मुझे पसंद हैं

मुझे पसंद हैं
धूसर कत्थई होंठ
बिन काजल बड़ी आंखें
पसीने से धुला चमकता चेहरा
ख़ुश्क लहराते बाल
सादे कपड़े
भोली बातें
क्योंकि मैं
देह से परे रहकर
तुम्हारी आत्मा को चूमना चाहता हूं ।

प्रेम मेरे लिए वह अंतहीन यात्रा है

प्रेम मेरे लिए वह अंतहीन यात्रा है जिसका कोई लक्ष्य नहीं!तुम भी नहीं!!

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तुम तो वह सहयात्री हो जिसका हाथ पकड़ मैं इस शाश्वत यात्रा पर निकलना चाहता हूँ!!!